प्रशांत किशोर की सियासी समझ पर नीतीश कुमार ने किया तंज
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार को बदलने निकले हैं. वे बिहार के शहर-शहर घूम रहे हैं. जदयू से जब उनके रिशते खत्म हुए थे तब भी उन्होंने अभियान चलाया था. लेकिन अभियान सफल नहीं हो पाया था. एक बार फिर वे बिहार जोड़ने की मुहिम पर निकले हैं. अपने अभियान के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सियासत सिखाने की कोशिश की. लेकिन नीतीश कुमार खुद ठहरे सियासी मैदान के दिग्गज खिलाड़ी वे कहां चूकने वाले थे. उन्होंने प्रशांत किशोर की सियासी सोच और समझ पर ही सवाल कर डाला.
विपक्षी दलों को एकजुट करने के इरादे से दिल्ली गए नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को आड़े हाथों लिया था. मीडिया से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को लेकर पूछे सवाल पर कहा कि वह आदमी मेरे साथ आए थे न! लेकिन जब मैंने बोला कि चुनावी प्रबंधन का यह सब काम छोड़ दीजिए, तो नहीं माने और देश भर की कितनी पार्टियों का काम करते रहे. ये उनका धंधा है. प्रशांत किशोर के राजनीति में उतरने के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि अब बिहार में राजनीति करना चाहते हैं, तो करे न भाई! उससे क्या मतलब है. उनके बयान का कोई अर्थ नहीं है.
राजनीति में नीतीश कुमार की विश्वसनीयता पर प्रशांत किशोर ने सवाल उठाया था. उस बयान पर नीतीश कुमार ने कहा कि 2005 से अब तक बिहार में जो काम हुआ है, उसका उन्हें एबीसीडी भी मालूम है. लेकिन हां, उन्हें मालूम है, अपना पब्लिसिटी लेने का, स्टेटमेंट देने का. वे इसी सब का एक्सपर्ट है. नीतीश कुमार कहा कि वे ऐसा ही अंड-बंड बोलते रहते हैं. कोई मतलब है इसका. अगर कोई यह सब बात बोलता है तो आप समझ लीजिए, मन होगा कुछ. भाजपा के साथ रहने का या भाजपा को भीतर से मदद करने का. कभी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर ने कहा था कि फिर से जदयू और राजद की मिली-जुली सरकार बनने का असर केवल बिहार तक सीमित रहेगा और देश की राजनीति पर कोई असर नहीं होगा. उन्होंने नीतीश कुमार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जो एक महीने पक्ष में थे, वे अब विपक्ष की गोलबंदी कर रहे हैं.
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