भक्त का भगवान पर अटूट भरोसा ही सच्ची भक्ति है: आचार्य विमलेश दीक्षित
हरदोई। श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास श्रद्धेय आचार्य बिमलेश दीक्षित ने अपने श्रीमुख कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए बताया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है।
कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।
कथा का आयोजन बिजगवां गांव में कुशवाहा परिवार द्वारा किया गया है। इस मौके पर कथा परीक्षित मुलायम कुशवाहा धीरज कुशवाहा रंजीत बाजपेई स्वदेश बाजपेई अखिलेश यादव आदि लोग उपस्थित रहे।