यूआईडीएआई की प्रेस रिलीज में दी गई थी आधार की फोटोकॉपी साझा न करने की सलाह, फिर क्यों ली गई वापस
केंद्र सरकार ने आधार जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई द्वारा शुक्रवार, 27 मई को जारी वो प्रेस रिलीज़ वापस ले ली है, जिसमें लोगों को किसी भी संस्था को आधार की फोटोकॉपी न देने की सलाह दी गई थी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने रविवार को नई प्रेस रिलीज़ में इस बात की जानकारी दी है। इसका कारण यूआईडीएआई की प्रेस रिलीज़ में कही गई बातों की ग़लत व्याख्या किए जाने की आशंका को बताया गया है।
इससे पहले यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (यूआईडीएआई) के बेंगलुरू स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने शुक्रवार को सलाह दी थी कि लोग अपने आधार की कॉपी (फोटोकॉपी) किसी भी संस्था के साथ इसलिए साझा न करें, क्योंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है। यूआईडीएआई ने 27 को जारी की गई अपनी प्रेस रिलीज़ में इसका विकल्प भी सुझाया था। इसमें कहा गया था कि लोग आधार की फोटोकॉपी की बजाय 'मास्क्ड आधार' दे सकते हैं। मास्क्ड आधार में 12 अंकों की जगह 4 अंक ही छपे होते हैं और बाक़ी 8 अंक छिपे होते हैं।
वहीं सरकार ने आधार नंबरों का उपयोग करने और उसे साझा करने में अपनी समझ लगाने की सलाह लोगों को दी है। सरकार ने साथ ही फिर से दावा किया है कि आधार के समूचे तंत्र में पहचान और निजता की सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए गए हैं।
यूआईडीएआई की रिलीज़ में बताया गया था कि किसी भी आधार नंबर की ऑनलाइन या ऑफ़लाइन जांच कैसे होती है। इसकी ऑनलाइन जांच करने के लिए हमें यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इस लिंक के ज़रिए ज़रूरी सूचना भरकर देखना होता है। वहीं ऑफ़लाइन जांच करने के लिए हमें mAadhaar नाम के ऐप पर मौजूद क्यूआर कोड स्कैनर के ज़रिए ई-आधार या आधार कार्ड पर छपे क्यूआर कोड स्कैन करना होता है। रिलीज़ में यह भी बताया था कि आधार के ज़रिए किसी इंसान की पहचान वही संस्था कर सकती है, जिसने यूआईडीएआई से यूज़र लाइसेंस हासिल किया हो। इसके अनुसार, बिना लाइसेंस वाली निजी संस्थाओं जैसे होटलों और सिनेमा हॉलों को किसी इंसान की पहचान साबित करने के लिए आधार कार्ड की कॉपी लेने की इजाज़त नहीं है। और ऐसा करना आधार क़ानून, 2016 के तहत एक अपराध है। रिलीज़ में कहा गया था कि यदि कोई निजी संस्था आपका आधार कार्ड या उसकी फोटोकॉपी मांगती है, तो कृपया जांच लें कि उस संस्था के पास यूआईडीएआई से मान्य यूज़र लाइसेंस है या नहीं।
यूआईडीएआई ने लोगों से साइबर कैफ़े जैसे सार्वजनिक इस्तेमाल वाले कंप्यूटरों से ई-आधार डाउनलोड करने से बचने की सलाह दी थी। साथ ही बताया गया था कि यदि उन कंप्यूटरों से ई-आधार डाउनलोड करना मज़बूरी हो, तो उसे डाउनलोड करने के बाद उसकी कॉपी को कंप्यूटर से हमेशा के लिए डिलीट कर दें।