राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार देश के लोगों में आज भी बरकरार है बेटे की चाहत

in #wortheum2 years ago

IMG-20220517-WA0252.jpgभारत सरकार की ओर से हाल में जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार देश के लिंग अनुपात में सुधार हुआ है, लेकिन आबादी का एक बड़ा तबका आज भी कम से कम एक बेटा होने की ख़्वाहिश रखता है। 2019 से 2021 के बीच आबादी के व्यापक तबकों के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 80 फ़ीसदी लोग कम से कम एक बेटा होने की इच्छा रखते हैं।

IMG-20220517-WA0251.jpgइस सर्वेक्षण से पता चला कि अभी भी बड़े पैमाने पर लोग बेटियों पर बेटों को तरजीह दे रहे हैं। भारत के पारंपरिक समाज की पुरानी मान्यता रही है कि खानदान का नाम बेटा ही आगे बढ़ाता है और वही बुढ़ापे में अपने मां-बाप की देखभाल करेगा। वहीं बेटियां शादी के बाद अपने घर यानी ससुराल चली जाएगी। साथ ही उसकी शादी में ख़ासा दहेज भी देना पड़ेगा। इस सोच के ख़िलाफ़ सालों से काम करने वालों का मानना है कि इस सोच के चलते बेटियों के मुक़ाबले बेटों की संख्या ज़्यादा हो जाती है, जो लंबे अरसे से भारत के लिए शर्म की बात रही है।