Bahraich News: भेड़िया की दहशत के चलते बाहर कमाने नहीं जा पा रहे युवक
बहराइच 7 सितंबर : (डेस्क) महसी तहसील के 50 गांवों में पिछले पांच महीने से भेड़ियों का खौफ।भेड़ियों से प्रभावित गांवों में लोग अपने परिवारों को बचाने के लिए कर रहे हैं संघर्ष।ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षा उपायों की मांग की।
बहराइच में भेड़ियों का आतंक: ग्रामीणों की जिंदगी डर के साए में
बौंडी (बहराइच) में महसी तहसील क्षेत्र के लगभग 50 गांवों के 100 मजरों में पिछले पांच महीने से भेड़ियों का आतंक व्याप्त है। इस समस्या ने स्थानीय निवासियों की जिंदगी को भय के साए में डाल दिया है। भेड़ियों के लगातार हमलों के कारण ग्रामीणों को अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
भेड़ियों का बढ़ता खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि भेड़ियों ने उनके मवेशियों और यहां तक कि बच्चों पर भी हमले किए हैं। कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, जिससे गांव में डर और चिंता का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि भेड़ियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे उनकी फसलें और मवेशी भी खतरे में हैं।
ग्रामीणों की सुरक्षा के उपाय
भेड़ियों के आतंक से बचने के लिए ग्रामीणों ने कई उपाय किए हैं। रात में जागकर पहरा देना, मशालें जलाना और लाठियों के साथ गांव में गश्त करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। हालांकि, इस स्थिति से निपटने के लिए उन्हें प्रशासन से मदद की आवश्यकता है।
प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है, जिससे ग्रामीणों में निराशा बढ़ रही है। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से संपर्क किया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार भेड़ियों के आतंक को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए, जैसे कि भेड़ियों का शिकार करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजना या गांव के आसपास सुरक्षा उपायों को बढ़ाना।
ग्रामीणों की अपील
भेड़ियों के आतंक से प्रभावित ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि वे उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
कुल मिलाकर, बहराइच के बौंडी क्षेत्र में भेड़ियों का आतंक स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रशासन को इस मुद्दे पर ध्यान देने और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने जीवन को सामान्य रूप से जी सकें।