ढलती उम्र के सुख

in #poems2 years ago

हमारी ढलती उम्र के सुख
कुछ अलग ही होते हैं
जैसे बिस्तर पर सुबह-सुबह
ताजा अखबार के साथ
एक-दो कप गर्म चाय
दिन में एक अच्छी-सी किताब
कोई प्रतीक्षित फोन कॉल
या घरवाली के दो मीठे बोल
शाम को टहलते वक्त पार्क में
किसी पुराने दोस्त का साथ
या टीवी पर आई कोई अच्छी खबर
रात में नींद से पहले मोबाइल पर
पुरानी फिल्मों के कुछ पसंदीदा गीत
और उन गीतों से झांकते
अतीत के कुछ बिछुड़े हुए चेहरे

ये वे दिन हैं जब
छोटी-छोटी बातों में मन खोज लेता है
बड़े-बड़े सुख
जब सपने तो साथ छोड़ जाते हैं
लेकिन स्मृतियां होती हैं
जो अकेला देखकर
साथ देने आ जाती हैं कहां-कहां से
बिन बुलाए भी।

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