पानी संरक्षण की सभी को लेनी होगी जिम्मेदारी

चित्रकूट 10 सितंबर:(डेस्क)चित्रकूट जिले के सदर ब्लाक के रसिन गांव में 52 दिन की जल कोष यात्रा का समापन पद्म विभूषण जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने किया। इस यात्रा का उद्देश्य जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को पानी के महत्व के बारे में समझाना था। आचार्य रामचंद्र दास ने इस अवसर पर कहा कि हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, चाहे वह काया हो, माया हो या छाया, सब कुछ जल की बूंदों का कमाल है।

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जल का महत्व
जल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल पीने के लिए आवश्यक है, बल्कि कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए भी अनिवार्य है। आचार्य ने बताया कि संतों के उपदेश भी जल के महत्व को दर्शाते हैं। जल का संरक्षण केवल एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दायित्व भी है।

जल संकट की गंभीरता
भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है। बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन और जल के अनियंत्रित उपयोग के कारण जल की उपलब्धता में कमी आ रही है। इस संदर्भ में, आचार्य ने लोगों को जल के प्रति सजग रहने और इसे बचाने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि जल का संरक्षण केवल बारिश के
मौसम में नहीं, बल्कि वर्षभर किया जाना चाहिए।

जल संरक्षण के उपाय
आचार्य रामचंद्र दास ने जल संरक्षण के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए:
वृष्टि जल संचयन: वर्षा के पानी को संचित करने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। यह न केवल जल की उपलब्धता बढ़ाएगा, बल्कि भूजल स्तर को भी सुधारने में मदद करेगा।

सामुदायिक जागरूकता: गांवों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
वृक्षारोपण: पेड़ पौधे लगाने से वर्षा को आकर्षित करने में मदद मिलती है, जिससे जल स्रोतों की स्थिति में सुधार होता है।
जल पुनर्चक्रण: घरेलू और औद्योगिक जल का पुनर्चक्रण करने के उपायों को अपनाना चाहिए, ताकि जल का अधिकतम उपयोग हो सके।
सरकारी पहल: सरकार को जल संरक्षण के लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए और उन्हें लागू करने के लिए स्थानीय प्रशासन को सक्रिय करना चाहिए।

संतों का योगदान
संतों का योगदान जल संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। उनके उपदेश और शिक्षाएं समाज में जल के महत्व को उजागर करती हैं। संतों ने हमेशा जल को जीवन का आधार माना है और इसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है।

निष्कर्ष
जल कोष यात्रा का समापन एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आया है कि जल का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है। आचार्य रामचंद्र दास ने सभी से अपील की कि वे जल को बचाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करें और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
इस यात्रा ने न केवल जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि यह भी दर्शाया कि जब समाज एकजुट होकर कार्य करता है, तो वह किसी भी समस्या का समाधान कर सकता है। जल ही जीवन है, और इसे बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।