हर घर तिरंगा: कितना और कैसे ख़र्च कर रही है सरकार

in #har2 years ago

भारत आज़ादी की 75वीं सालगिरह का जश्न मना रहा है. इस जश्न को 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' नाम दिया गया है.

इस मौके पर भारत सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान की शुरुआत का एलान किया है.

इस अभियान के तहत सरकार 13-15 अगस्त के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर घर पर तिरंगा फहराने का आग्रह किया है.

सरकार के मुताबिक इस अभियान के साथ नागरिकों का तिरंगे के साथ रिश्ता और गहरा होगा. नागरिकों में देशभक्ति की भावना इससे और प्रबल होगी.

फ़िलहाल राष्ट्रीय ध्वज के साथ भारत के नागरिकों का व्यक्तिगत से ज़्यादा औपचारिक और संस्थागत रिश्ता है. भारत सरकार को लगता है कि 'हर घर तिरंगा' अभियान के बाद ये संबंध ज़्यादा व्यक्तिगत हो सकेगा.

हर घर तिरंगा अभियान से जुड़े विवाद
अभियान के शुरु होने में अभी 10 दिन से ज़्यादा का वक़्त है.

लेकिन इससे जुड़े दो विवाद शुरू हो गए हैं.

पहला विवाद जम्मू कश्मीर के एक ज़िले के शिक्षा विभाग के आदेश से जुड़ा है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए बडगाम के ज़ोनल एजुकेशन ऑफ़िसर की तरफ़ से एक ऑर्डर जारी किया गया, जिसको लेकर वहाँ के सियासी हल्कों में विवाद शुरू हो गया है.

पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा, " दुर्भाग्य की बात है कि ऊपर के अधिकारी द्वारा पास किए गए तिरंगा फहराने के आदेश का ख़ामियाजा छोटे पद पर तैनात अधिकारी को भुगतना पड़ रहा है. सभी की सूचना के लिए यह वो सरकारी आदेश है जिसमें बच्चों को हर घर तिरंगा कैंपेन के तहत राष्ट्रीय ध्वज ख़रीदने का आदेश दिया गया है."

हर घर तिरंगा अभियान
बीबीसी हिंदी
केंद्र सरकार ने इस अभियान के तहत तकरीबन 20 करोड़ घरों में झंडा फहराने का लक्ष्य रखा है.
कंफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के मुताबिक़, भारत में फिलहाल 4 करोड़ झंडे ही उपलब्ध है. यानी बाकी के झंडों का ऑर्डर राज्य या केंद्र सरकार को अपने स्तर पर बनवा कर बिक्री करने की जगह पहुँचाना होगा.
राज्य सरकार चाहें तो केंद्र सरकार से राज्य की ज़रूरत के हिसाब से कुल झंडों की माँग कर सकती है या फिर अपनी तरफ़ से झंडों का इंतज़ाम कर सकती है.
केंद्र सरकार के मुताबिक़, झंडे तीन साइज़ में उपलब्ध होगें और तीनों की कीमत भी अलग अलग होगी. 9 रुपये, 18 रुपये और 25 रुपये के झंडे.
झंडा बनाने वाली कंपनियां शुरुआत में केंद्र और राज्य सरकार को उधार पर ये झंडे उपलब्ध कराएगी.
नागरिकों को अपने पैसे से झंडा ख़रीदना होगा.
लोग चाहें तो एकमुश्त झंडा ख़रीद कर दूसरों को गिफ़्ट भी कर सकते हैं. कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी के तहत ऐसा किया जा सकता है.
पंचायतों, दुकानदारों, स्कूल, कॉलेजों को इससे जुड़ने का निर्देश जारी किया गया है. 1 अगस्त से डाक घरों पर भी झंडा मिलना शुरू हो जाएगा.

हर घर तिरंगा अभियान पर कुल ख़र्च
केंद्र सरकार का लक्ष्य अगर 20 करोड़ घरों पर झंडा फहराने का है. अगर झंडे की न्यूनतम कीमत 10 रुपये भी हो तो इस अभियान में कुल 200 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे.

ये 200 करोड़ उन्हीं लोगों से आएंगे तो ये झंडे ख़रीदेंगे.

ज़ाहिर है इतने बड़े पैमाने पर भारत में झंडा एक बिज़नेस हाउस नहीं बना रहा होगा.

इसके लिए कई स्वयं सहायता समूह, छोटे और मध्यम उद्योग से जुड़े व्यापारी और बिज़नेस हाउस को टेंडर दिया गया है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में ये लोगों के लिए उपलब्ध हो सके.

आइए राजस्थान के उदाहरण से इस पूरे अभियान को समझते हैं:-

राजस्थान सरकार ने एक करोड़ घरों में झंडा लगाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 70 लाख झंडे केंद्र सरकार से उपलब्ध करवाने को कहा है और 30 लाख का इंतज़ाम राज्य सरकार ख़ुद करेगी.

राजस्थान ने केंद्र से 70 लाख झंडे, राज्य के सात डिवीजन में माँगे हैं.

लेकिन प्रक्रिया में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं.

समस्या ये है कि 10 रुपये में झंडा, डंडा और लाने, ले-जाने का खर्च, सब जुड़ा है - ये पैसा कुछ कंपनियों के लिए बहुत कम है. इस वजह से केंद्र सरकार राज्यों को केवल झंडा ही मुहैया करा रही है और वो भी राज्यों के कुछ एक जगहों पर, हर ज़िले में नहीं.

दूसरी समस्या पेमेंट की है. झंडा बनाने वालों के लिए कुछ राज्य सरकारों ने पेमेंट झंडा बिकने के बाद देने की बात की है. ऐसे में कंपनियों को डर इस बात का है कि सारे झंडे नहीं बिके तो पेमेंट का क्या होगा.

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