गर्मी पर कविता

in #heat2 years ago

गर्मी पर कविता

गर्मी गर्मी मत चिल्लाओ, हो सके,एक पौध लगाओ!
पौध लगा कर,उसे पाल कर धरती हरी सजाओ!!

पेड़ों की संख्या वृद्धि से शुद्ध बयार चलेगी!
पर्यावरण की शुद्धि होगी,
तन्दुरूस्ती खूब बढेगी!!

भरपूर फिर होगी बारिश , कहीं ना होगा सूखा!
लहलहाती फसलें होंगी, कोई ना रहेगा भूखा!!

तरूवरों पर फल फूल लदेंगे, नदियां बहेगी कलकल!
सरोवर होंगे भरे भरे जब खूब बरसेंगे बादल!!

हम आज यदि नहीं
जगे तो पीढ़ियाँ पछतायेंगी!
हम पेड़ लगाये,जल बचाऐं, पीढियां आशीष देंगी!!

निज हित हेतू तो हम सबने जीवन भर है कमाया!
मन को बड़ा ही तोष मिलेगा,यदि सबका आशीष पाया!!

अन्तर्मन के एहसासों ने जो कुछ भी मुझे कहा है!
अपनी लेखनी से कागज पर सच सच वही लिखा है!!