सप्लायर बने कमीशन एजेंट इनकी मदद से ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने में हो रहा घोटाला।

in #hamirpur2 years ago (edited)

कमीशन के बल पर सप्लायरों के फर्जी बिलो के सहारे ग्राम पंचायतों में हो रही जमकर धांधली।
हमीरपुर- जनपद के सुमेरपुर ब्लाक की ग्राम पंचायतों में हर काम मनमाने तरीके से किया जा सकता है। यहां पुराने निर्माण कार्य नए हो जाते हैं जिसको सप्लायर बनना हैं वह सप्लायर बन जाता है भले ही वह सामग्री उसके पास है या नहीं इससे कोई मतलब नहीं। इन सप्लायरों को कमीशन मिलता देख कई ग्राम प्रधान-सचिवों ने खुदके भाई भतीजे रिस्तेदार या अपने करीबियों के नाम सामग्री सप्लायर के बेंडर बनवाकर कई लाखों के बिल लगाकर उनके भुगतान कर लिए। इतनी बड़ी लापरवाही पर आज तक किसी ने ध्यान भी नहीं दिया। इस प्रकार के कामो में जनपद के अधिकारियों की भी संदिग्धता नजर आती है इसलिए यह काम आसानी से हो जाते हैं।

महात्मा गांधी नरेगा योजना में पूर्व के वर्षो में एक सप्लायर का ग्राम पंचायत अनुबंध करती थी जो उसकी ग्राम पंचायत में सामग्री की सप्लाई कर सके लेकिन धीरे-धीरे यह प्रथा बदलती गई और अब तो वह भी बेंडर धारी बन गए जिनके पास न कोई दुकान हैं न ही वह सामग्री जिसके वो फर्जी बिल 5 से 10 प्रतिशत कमीशन लेकर पास करते है उसके बाद भी इनके बिल लग रहे हैं क्योंकि इन बेंडर धारियों को बढ़ावा देने वाले जनपद के ही अधिकारी हैं जो बिना दुकान का निरीक्षण किए इनको वेंडर सप्लायर के लिए हरी झंडी दे देते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुमेरपुर ब्लाक की ग्राम पंचायतों में कुछ ग्राम तो छोड़कर बात की जाय तो ज्यादा तर ग्राम पंचायतों में धांधली की तश्वीरे साफ देखी जा सकती है फिर वो चाहे हैंड पम्प मरमत कार्य हो या रिबोर का कार्य इन कार्यो में कही 20 हजार तो कही 50 हजार से लगा कर 1 लाख तक के बिल लगा कर भुगतान कराया गया है या होने वाला है लेकिन इन भुगतानों की बिल की बात करे तो ये ऐसी फर्म से कमीशन देकर बनवाये गये है जिनके पास हैंड पम्प लगाने या सुधारने की सामग्री ही नही मौजूद है और साथ ही बात करे पक्के कामो में लगाई गई सामग्री की तो उसकी तश्वीरे भी धुंधली नजर आती है ये सब फर्म की कमीशन खोरी का खेल है जो मिल कर खेला जा रहा है प्रत्येक ग्राम पंचायत में चाहे कच्चा कार्य हुआ हो या पक्का सब कमीशन खोरी का शिकार नजर आता है अगर कच्चे काम की बात करे तो मेड़बन्धी, समतली करण, अम्रत सरोवर,अम्रत वन,चकमार्ग,जलरोक निर्माण व शोख़फ़ीट सहित अन्य कार्यो में जमकर धांधली हुई नजर आती है बरसात होते ही ग्राम पंचायत में कराये गये कच्चे कार्य जमीन से गायब हो जाते है।

इनसेट-कोई भी व्यक्ति या फर्म अपनी दुकान की सामग्री यदि ग्राम पंचायतों में सप्लाई करना चाहता है तो उसे सबसे पहले जीएसटी नंबर लेना पड़ता है। उसके बाद जिला पंचायत में आवेदन होता है फिर वह आवेदन जनपद आता है। यहां जनपद के सभी अधिकारी उनकी सामग्री का सत्यापन करते हैं। उसके बाद वह पत्र जिले में जाता है लेकिन सुमेरपुर ब्लाक में सैकड़ों सप्लायर है। सही मायने में देखा जाए तो दो-चार लोगों के पास दुकान है शेष सामग्री के फर्जी बिल लग रहे हैं। शासन के जो नियम हैं उसके अनुसार ग्राम पंचायत या अन्य विभागों में पदस्थ कर्मचारी या जनप्रतिनिधि के बिलों पर उस कार्यालय में अंकुश लगा होता है जिसका कार्य उसका खुदका है या स्वजन करते हैं। क्योंकि इन बिलों पर अपनो को लाभ पहुंचाने की सभी को मंशा होती है लेकिन हमीरपुर जनपद की अधिकांश ग्राम पंचायतों में तो प्रधान-सचिवों ने दूसरों को फर्जी बिलों पर कमीशन जाता देख खुद अपने नजदीकियों के वेंडर बना लिए और अब वही मनमाने तरीके से बिल लगाकर उन बिलों का पूरा भुगतान उनका कमीशन और उस सामग्री का पैसा ले रहे हैं जो न कभी निर्माण कार्य में लगी है न उनके पास है।