माँ के शव से लिपट कर रोते रहे मासूम , लोगों की भर आई आँखें
गोरखपुर :- सहजनवा तहसील अंतर्गत विकासखंड पाली की आशा कार्यकत्री कालिंदी के शव के साथ बैठे उसके दो मासूम बच्चे अनुराग व युवराज ग्राम चांदबाली की रहने वाली मां- बच्चों की दुनियां होती है, उसके न होने पर बच्चे अनाथ हो जाते हैं । जीवित रहते हुए वह किसी कमी को महसूस नहीं होने देती है । बीते शनिवार को भावुक कर देने वाली एक तस्वीर सामने आई है । पाली विकासखंड के ग्राम चांदबारी की रहने वाली आशा कार्यकत्री कालिंदी देवी लीवर कैंसर से लड़ते हुए जीवन की जंग हार गईं । चिकित्सालय से जब उनका शव घर पहुंचा, तो इंतजार कर रहे उनके दो मासूम अपनी मां से लिपट कर इस कदर रोएं कि उन्हें देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गई। बच्चों को कैसे समझाएं, यह बात किसी के समझ में नहीं आ रही थी । कालिंदी का पूरा परिवार अपनी गरीबी में जीवन यापन कर रहा था । कालिंदी के अतिरिक्त घर में एक बुढ़ी सास जो चल फिर नहीं सकती हैं और दो उसके मासूम बच्चे थे, जिनकी उम्र सात वर्ष से कम है,बड़े लड़के का नाम अनुराग है तथा दूसरे का नाम युवराज है। दो वर्ष पहले पति की मृत्यु हो चुकी थी । इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी इसी के कंंधो पर थी। मजदूरी और आशा वर्कर का काम करके जीवन की गाड़ी खींचने वाली कालिंदी के परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। मां की मृत्यु के बाद दोनों बच्चे अनाथ हो गए, एक बुढी दादी है,जो चल-फिर नहीं सकती है । अब बच्चों को कौन पढ़ाएगा,उनका भविष्य क्या होगा । इसके महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों को दो वक्त की रोटी और एक अदद कपड़ा कहां से आएगा, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है । सभी की उम्मीदें प्रशासन व स्वास्थ्य परिवार पर टिकी हुई है।
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