आदिवासी छात्रावासों की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन बच्चों के भविष्य चल रहा खिलबाड़...
आदिवासी जिले मंडला में संचालित हो रहे छात्रावासों की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन विभाग या जनप्रतिनिधि आज दूर दूर ग्रामीण अँचलों से पढ़ने के लिए रह रहे ग़रीब आदिवासी बच्चों का जिम्मेदार कौन है जो अपनी पढ़ाई लिखाई के लिए अपना घर परिवार छोड़ दूर छात्राबास में रह रहे है जिस उम्र में इन्हें माँ बाप ओर परिवार की जरूरत होती है पर अपने भविष्य सवारने और पढ़ लिख कर कुछ करने की चाहत में आज अपना परिवार छोड़ कर दूर छात्राबास में रह रहे है पर इन छात्रावास में पदस्थ जिम्मेदार अधीक्षक इनके हकों में डाका डाल रहे इनको मिलने वाली सुविधाओं में अधीक्षक ओर इनके ऊपर बैठे जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी इनका मुँह का निवाले में अपना हक जता रहे है आज इनकी इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है।सोमवार को हुआ जब जनपद उपाध्यक्ष विजेंद्र यादव समस्त जनप्रतिनधि कि टीम गत सोमवार को बालक छात्रावास का मुआयना करने पहुंचे पता चला की सरकार से मिलने वाला पैसा इन पर पैसा का आधा पैसा भी बच्चो पर खर्च नहीं होता बच्चो ने बताया टॉयलट में बल्ब नहीं है बहुत डर लगता टीवी कई दिनों से बंद है मनोरजन नहीं होता ग्रामीणों ने बताया अधीक्षक अभी तीन दिन से नहीं आये दिल्ली भोपाल गए है कभी कभी आते है आधा एक घंटा रहते है फिर चले जाते बच्चे रोज डिब्बा बाल्टी रख कर दो कि. मी. से पानी लाते है नहाने और शोंच करने नदी जाते है रही बात इन्हें मिलने वाला खाना भी मीनू के आधार पर नहीं मिलता दिवार पर लिखा मीनू बडा ही सुंदर सरकार के द्वारा निर्धारित पर इनको मिलता कुछ और वही सोमवार का मीनू में आलू बरबटी भट्टा कि सब्जी रोटी चाँवल वह भी बहुत कम मात्रा जिससे बच्चे का पेट भी नही भर रहा है। जब इस बात की जानकारी रसोइया से पूछने में बताया जितना देते है उतना बना देती हूँ जबकिवही जानकारी के अनुसार जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास लावर मुड़िया की स्तिथि बड़ी दर्दीली और झकझोरने वाली है छात्रावास वीरान हवेली में तब्दील हो गया है कई सालो से कोई नहीं रहता ऐसा प्रतीत होता है यह सब अधिक्षक के कारगुजारी के चलते भयावह है महाशय की ऊपर तक पकड़ होने के कारण अधिकारी तक हिम्मत नहीं की इस छात्राबास का मुआयना कर ले ओर अधीक्षक या व्यवस्था पर ऊँगली उठाये तो अधिकारी तक बोरिया बिस्तर बंध जाये इस छात्रावास में आज तक कोई नजर उठा कर देखने कि हिम्मत नहीं करता बच्चे खून के आंसू रो रहे है और महाशय इन बच्चों के हक में डाका डाल अपनी जेब भर भर दिल्ली भोपाल की सेर कर मुख्यमंत्री सांसद मंत्री से पकड़ बता गांव के लोगो अपनी वजनदारी पेश करते है यह सब खुलासा सोमवार को हुआ जब जनपद उपाध्यक्ष विजेंद्र
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