जिस मां ने बच्चों को भूख से रोता देख खाया जहर उस महिला के लिए आगे नहीं आया प्रशासन, एनजीओ*

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छतरपुर। बीते रोज खजुराहो मार्ग पर कलेक्टर बंगला से चंद कदमों की दूरी पर लोहगडिय़ा समाज की एक महिला ने बच्चों को भूखा तड़पते हुए देखकर जहर खा लेने की खबर सामने आई थी जिसे आचरण एवं दैनिक भोपाल की जान समाचार पत्र ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद जिले के आला अधिकारी और कुछ समाजसेवी जरूर महिला से मिलने पहुंचे लेकिन उन्होंने इसे अभी तक कोई मदद नहीं उपलब्ध कराई। आज हमारे संवाददाता ने महिला से सीधे बात की तो महिला ने बताया कि हमारे जैसे शहर में 22 परिवार रह रहे हैं हमारे पास गरीबी रेखा का राशन कार्ड, आधार कार्ड है। उसके बावजूद भी हम लोगों को शासन से कोई सहायता नहीं मिलती। सपना ने बताया कि लोहा मंहगा होने के कारण जो औजार हम लोग तैयार करते थे यदि वह नहीं बाजार में बिकता तो हमारे घर के चूल्हे नहीं जलते। कुल मिलाकर बुंदेलखंड में गरीबी का आलम यह है कि कई परिवारों के यहां एक टाइम ही भोजन उपलब्ध होता है और कभी कभी तो इन्हें बिना भोजन के ही रहना पड़ता है। इस महिला ने जहर खाकर पूरे समाज को अचंभे में डाल दिया है कि कई घरों में ऐसी स्थिति भी आजादी के 75 साल बाद बनी हुई है। फिलहाल मां की ममता के कारण जो घटना घटी वह बहुत ही दुखद थी। फिलहाल यह महिला सडक़ के किनारे रह रही है। सोशल मीडिया पर खबर डलने के बाद सागर निवासी जो कि वर्तमान में बंबई में कार्य कर रहे हैं उन्होंने एक पत्रकार के खाते में 5 हजार रुपए की राशि इस महिला को भेजने का आग्रह किया है। संबंधित व्यक्ति ने नाम न छापने का आग्रह किया है। जबकि छतरपुर में विभिन्न पार्टियों के जनप्रतिनिधि एवं धन्ना सेठ मौजूद हैं इन लोगों ने अभी तक कोई भी मदद इस महिला को उपलब्ध नहीं कराई है। वहीं एक पत्रकार अंकित चौधरी के द्वारा महिला को एक बोरी आटा और कुछ राशन सामग्री आज उपलब्ध कराई है। फिलहाल जिला प्रशासन से मांग की गई है कि ऐसे गरीब परिवारों को जीवन यापन करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए।

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Good job