वर्क फ्रॉम होम Vs हाइब्रिड कल्चर: कंपनियों को कौन सा वर्किंग मोड पड़ रहा है भारी?

in #business2 years ago

वर्क फ्रॉम होम' शब्द नया नहीं है. सरकारी और निजी दफ़्तरों में ये पहले भी अपनाया जाता था लेकिन अब 21वीं सदी में बदला है तो होम से वर्क करने का तरीका. अब पेपर पेन की जगह लैपटॉप और इंटरनेट ने ले ली है. महामारी के दौरान सारी दुनिया ने वर्क फ्रॉम होम के नए आयाम देखे और ये स्वीकार भी किया कि भविष्य में कामकाज का ये तारीक किसी नई क्रांति से कम नहीं है.
hybrid-mode-work-2-sixteen_nine.jpg
कंपनियां क्यों कर रहीं WFH से तौबा?
एम्प्लॉइज को पसंद 'हाइब्रिड वर्क कल्चर'
कंपनियां अपना रहीं कामकाज का नया तरीका
वर्क फ्रॉम होम-कोरोना काल में सबसे ज्यादा इसी की चर्चा हुई या कहें कि इसका चलन कोविड आने के बाद से ही शुरु हुआ. कोरोना काल में लगभग हर प्राइवेट से लेकर सरकारी संस्थानों तक का वर्किंग कल्चर बदला है. कुछ कंपनियों को तो वर्क फ्रॉम होम इतना रास आया कि उन्होंने ऑफिस से ही तौबा कर ली, लेकिन कुछ कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होम भारी पड़ गया क्योंकि उनके एम्प्लॉईज हैं कि अब ऑफिस आने का नाम नहीं ले रहे हैं.

कुछ कंपनियों की WFH से तौबा!

इसी कड़ी में इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला भी है, जिसके सीईओ एलन मस्क ने सभी कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वे हर सप्ताह 40 घंटे ऑफिस में बिताएं. एलन मस्क ने ये भी कहा है कि उनके ऐसा नहीं करने पर यह माना जायेगा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. मस्क ने ट्वीट किया है कि अगर किसी कर्मचारी को कंपनी की नीति नहीं पसंद है तो वह टेस्ला छोड़ सकता है.

दिग्गज कंपनियों ने हाइब्रिड कल्चर अपनाया

लेकिन दूसरी तरफ कई ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने तो परमानेंट वर्क फ्रॉम होम लागू कर दिया है. वहीं, कोरोना महामारी में गिरावट देखते हुए हाइब्रिड वर्क कल्चर शुरू किया गया है. कुछ संस्थानों ने तो हाइब्रिड कल्चर पर्मानेंट बेसिस पर शुरू कर दिया है, जिसमें आप कुछ दिन ऑफिस में काम कर सकते हैं और कुछ दिन घर से काम कर सकते हैं. कंपनी और कर्मचारी दोनों को ही वर्क फ्रॉम होम कल्चर काफी हद तक पसंद भी आ रहा है, इनमें देश की तीन बड़ी आईटी कंपनियां एचसीएल, इंफोसिस और टीसीएस शामिल हैं. धीरे-धीरे कई और कंपनियां भी इस कल्चर को अपना रही हैं. कई लोग इसे भविष्य के तौर पर एक अच्छे वर्क मॉडल के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि पांच में से हर तीन व्यक्ति इसे अपनाना चाह रहे हैं. वहीं, कंपनियों को भी इसमें फायदा नजर आ रहा है. साथ ही, ऑन-डिमांड वर्कस्पेस की बढ़ती मांग भी हाइब्रिड वर्क मॉडल का एक कारण माना जा रहा है. देश में लगभग 93 प्रतिशत तकनीकी संगठन महामारी से परे एक हाइब्रिड कार्य मॉडल अपनाने पर विचार कर रहे हैं.
एम्प्लॉईज की पसंद क्या है?

ऑफिस से कार्य कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि वे हाइब्रिड वर्क कल्चर को ऑफिस से कार्य करने से बेहतर मानते हैं. इस संस्कृति में एम्प्लॉईज को ज्यादा फायदे नजर आ रहे हैं जिसमें आने-जाने के खर्चे की बचत सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है. गूगल ने भी हाइब्रिड वर्क सिस्टम को लागू कर दिया है और सभी के लिए वैक्सीन अनिवार्य की है, लेकिन कम्पनी ने यह तय नहीं किया है कि वह इसे सुनिश्चित कैसे करेगी, ऐसे में कई कर्मचारियों को फिर से संक्रमित होने की आशंका है.
एक मल्टीनैशनल आईटी कंपनी में काम करने वाले संकल्प कटियार ने पिछले ढाई सालों के अपने वर्क फ्रॉम होम के अनुभव के बारे में बताया कि घर से काम करने के बहुत सारे फायदे हैं. अब कंपनीयों को अच्छी प्रोडक्टिविटी मिल रही है साथ ही किसी भी एम्प्लॉई को हायर करने के लिए शहर, राज्य और देश की सीमाओं की कोई बाधा नहीं बची. उन्होंने बताया कि उनकी ही टीम में एक ही शिफ्ट में तीन अलग-अलग देशों के लोग काम कर रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम में कंपनियों को अब अलग से इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं खड़ा करना पड़ता और भी कारण हैं जैसे की सारी बड़ी कंपनियों ने अब पूरी तरह से खुद को वर्क फ्रॉम होम की ओर शिफ्ट कर लिया है.

इतना ही नहीं संकल्प ने बताया की कम्पनियां अब काम करवाने के लिए किसी शिफ्ट टाइम की भी मोहताज नहीं बची हैं. किसी भी तरह का अर्जेंट काम आने पर एम्प्लॉइज तुरंत काम संभालने के लिए तैयार होते हैं. उन्होंने बताया कि घर से काम करने से ट्रैफिक और पैट्रोल की भी भारी बचत हो रही है और साथ ही शादीशुदा होने के कारण अब अपने परिवार को भी पूरा समय दे पाते हैं. कटियार ने बताया की वर्क फ्रॉम होम के कई सारे नुकसान हो सकते हैं लेकिन अधिकतर कर्मचारियों को काम करने की यही शैली पसंद आ रही है.
वहीं, गुरुग्राम की एक टेलीकॉम कम्पनी में काम करने वाले मनीष रस्तोगी ने बताया की लम्बे समय से वर्क फ्रॉम होम के बाद अब उनकी कम्पनी अपने एम्प्लॉइज को वापस ऑफिस बुलाने लगी है, क्योंकि कोरोना अभी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है और कम्पनी हमें ऑफिस बुलाने के साथ-साथ प्रीकॉशन्स भी बरतना चाह रही है. मनीष ने बताया कि कम्पनी कर्मचारियों को कम से कम संख्या में ऑफिस बुला रही है और हफ़्ते में एक दिन छोड़कर एक दिन ही ऑफिस जाना पड़ रहा है.

मनीष ने कहा कि मेरा मानना है कि एम्प्लॉइज को वर्क फ्रॉम होम की आदत लग चुकी है इसलिए कम्पनियां धीरे-धीरे ही सही पर कर्मचारियों को वापस ऑफिस बुलाने का पैंतरा अपना रही हैं उन्होंने कहा कि इसे वर्क फ्रॉम होम से वर्क फ्रॉम ऑफिस के बीच का एक ट्रानजिशन कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि हायब्रिड कल्चर उन लोगों के लिए अच्छा है जो उसी शहर में रेहते हैं जहां उनका ऑफिस है, लेकिन उनके लिए समस्या है जो अपना शहर छोड़ कर काम के लिए पलायन करके आए हैं. मनीष का मानना है की हायब्रिड वर्क कल्चर कुछ ऑफिस के लिए एल विकल्प हो सकता है लेकिन वर्क फ्रॉम होम ही आने वाले समय में कामकाज का न्यू नॉर्मल होगा.
"वर्क" से बड़ा वर्क फ्रॉम होम!

कोरोना महामारी के बाद लगे पैंडेमिक में कई कंपनियों ने पर्मानेंट वर्क फ्रॉम होम लागू कर दिया है. इनमें खास कर आईटी कंपनियां शामिल हैं. कई कर्मचारी तो ऑफिस आने के नाम पर आनाकानी कर रहे हैं और जब उनको जबरन बुलाया जा रहा है तो वो नौकरी छोड़ने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं, और यही वजह है कि व्हाइटहैट जूनियर कंपनी ने अपने कर्मचारियों का वर्क फ्रॉम होम खत्म किया तो 800 से ज्यादा कर्मचारियों ने हाल ही में इस कंपनी को टाटा-बाय-बाय कह दिया. बहरहाल, कोरोना ने वर्क कल्चर को बदल दिया है, मामला थोड़ा जटिल हो गया है, ऐसे में ये मुद्दा बहस का भी विषय बन चुका है कि क्या 'वर्क फ्रॉम होम' कंपनियों को अब भारी पड़ रहा है या हाइब्रिड वर्क ही भविष्य का वर्किंग कल्चर होगा?