ब्रह्मचर्य धर्म दशलक्षण धर्म का सार है

in #jain2 years ago

INDIAOLDDAYS-JAIN-DHARM-OF-PRINCIPAL.jpg

ब्रह्मचर्य धर्म दशलक्षण धर्म का सार है

जिस व्यक्ति के जीवन मे वरह्मचार्य आ जाता है निश्चित मानना उसने अन्य नो धर्मो के ऊपर अपना पूरा श्रद्धान किया है इसी लिए तो कहा है वरह्मचार्य धर्म सब धर्मों का राजा है उक्त बात चर्याशिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के परम प्रभाव शिष्य ब्रह्मचारी मनोज भैया सोनीपत ने महावीर मार्ग स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में अपने प्रवचनों के दौरान कही इसके पूर्व सुबह की बेला में वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया इस अवसर पर शन्तिधारा धारा करने का शौभाग्य सुखनंदन राजीव जैन परिवार अशोक कुमार अखिल कुमार परिबार को तो दूसरी तरफ से व्रहमचारी मनोज भैया को मिला।
इस जिनालय प्रतिदिन तत्वार्थ सूत्र का बाचन भी भैया जी के द्वारा कराया गया जिसके दसों अध्याय का आज समापन हुआ। तो बही निर्माण लाडू चढ़ाने का शौभाग्य भी व्रहमचारी मनोज भैया को तो ऊपर की बेदी पर निर्वाण लाडू चढ़ाने का शौभाग्य चौधरी अशोक कुमार अनिल कुमार परिवार को मिला। इस दौरान लाडू सजाओ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान कुमारी रानू जैन को,दूसरा स्थान श्री मति शिरोमणि जैन को ओर तीसरा स्थान श्री मति इंद्रा जैन, श्री मति रूपल जैन को मिला।
रात्रि के समय भजन संध्या एवं आरती नृत्य का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।आज शनिवार को शाम के समय बड़ा प्रतिक्रमण का भी आयोजन किया जाएगा।

बही दोपहर में समीपस्थ ग्राम तामोट में भगवान की शोभायात्रा निकाली गई जिसमें बढ़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।