क्या तुम CM बनना चाहते हो? जब उद्धव ने शिंदे से किया था सवाल, जानें क्या था जवाब

in #yavatmal2 years ago

महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच रविवार को आदित्य ठाकरे ने युवा सेना की कार्यकारणी सभा को संबोधित किया। उन्होंने बागी नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो इस्तीफा देकर चुनाव लड़िए एक-एक को हराएंगे।युवा सेना की कार्यकारणी सभा को संबोधित करते हुए आदित्य ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने शिंदे को गद्दार ठहराया और कहा कि क्या बाला साहेब या आनंद दिघे आज जिंदा होते तो उनके सामने शिंदे यह हिमाकत कर पाते? सीएम साहब के बिमारी का फायदा उठाकर शिंदे ने उनके पीठ पीछे छुरा घोंपा है। उन्होंने बागी नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो इस्तीफा देकर चुनाव लड़िए एक-एक को हराएंगे।शिंदे से पूछा भी था कि क्या तुम सीएम बनना चाहते हो?
20 मई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को बंगले पर बुलाया और पूछा था कि क्या तुम मुख्यमंत्री बनना चाहते हो लेकिन उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा। वह इधर-उधर की बातें करने लगे और बोले कि नहीं आप ही हमारे मुख्यमंत्री हैं और रहेंगे। उससे ठीक एक महीने बाद ही शिंदे ने हमें धोखा दिया और बागी होकर हमें मुसीबत में डाल दिया। असल में इन्होंने मुख्यमंत्री साहब की बीमारी का फायदा उठाया है।

पैसों के लिए हमारे साथ गद्दारी की
आदित्य ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को चैलेंज देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो इस्तीफ दिजीए और चुनाव लड़कर दिखाइए। मैं उन्हें चैलेंज में हराए बिना शांत नहीं बैठूंगा। आज पैसों के लिए आप वहां गए हैं कल को आप अपने परिवारवालों को क्या मुंह दिखाएंगे उनको भी यही लगेगा कि पैसे के लिए आप ने गद्दारी की। पैसा आता जाता रहता है लेकिन नाम सही रहना चाहिए।यदि बाला साहेब या आनंद दिघे आज जिंदा होते तो क्या उनके सामने शिंदे ये सब कर पाते
असली ताकत शिवसैनिक है, परसो तक जो मेरी गाड़ी मे बैठे थे वो भी चले गए। ये जो परिस्थिति हमारे ऊपर आई है ऐसे समय में हमारा फायदा उठाया गया है जब उद्धव ठाकरे बीमार हैं। अगर खुद को सच्चे शिवसैनिक कहते हैं तो सामने आइए और हमें बताइए कि हमसे क्या गलती हुई है। आज अगर बाला साहब ठाकरे या आनंद दिघे होते और उनके सामने उन्होंने यह किया होता तो वह उन्हें अपनी भाषा में समझाते। इसी बात पर दिलवाले पिक्चर का मुजे एक डॉयलग याद आ रहा है कि हम शरीफ क्या हुए पूरी दुनिया बदमाश हो गई। मैं तो रास्ते पर उतर ही रहा हूं लेकिन आप भी घर-घर जाकर उनकी सच्चाई लोगों तक पहुंचाइए।

हिम्मत थी तो मुंबई में रहकर बगावत करते
जितना प्यार और भरोसा आपलोगों पर था उतना किसी पर नहीं था लेकिन इसके बावजूद भी आपलोगों ने हमारे साथ छल किया। जो डिपार्टमेंट पिछले 50 सालों में किसी मुख्यमंत्री ने नहीं छोड़ा उस विभाग की जिम्मेदारी आपको दी गई। फिर भी आपने सूरत जाकर बगावत की और अब बोलने तक की हिम्मत नहीं हो रही है। उस दिन बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं थे कि सुपर पावर क्या पाकिस्तान क्या चीन अगर इतनी हिम्मत होती तो मुंबई में रहकर आप बात करते।जहां आपदा आई है वहां विधायकों की मौज चल रही है
जिस राज्य में परिस्थिति विकट है उस राज्य में जाकर आप लोग मौज मस्ती कर रहे हो सिर्फ खाने का बिल 8 लाख और क्या-क्या है यह तो हमने पूछा ही नहीं और अब तो सीआरपीएफ की सिक्योरिटी भी दी गई है। यह सीआरपीएफ की सिक्योरिटी हमारे कश्मीरी पंडितों को दी गई होती तो कश्मीर में टारगेट किलींग नहीं होती। जो हमने पिछले महीने ही मांग की थी।मुझे आज भी यकीन नहीं हो रहा है कि प्रकाश सुर्वे जैसा आदमी जा सकता है। जिन-जिन लोगों को मैंने फंड दिया है मैंने कोई उन पर उपकार नहीं किया। ऐसे लोगों के साथ हमें थोड़ा लड़ना पड़ेगा। पिछली बार के दो बगावत हमें याद आ रही हैं उसमें से एक तो बाला साहब ठाकरे ने जगह पर ही खत्म कर दिया था और दूसरी बगावत हमें एक से डेढ़ साल लगे खत्म करने में।