देखें पार्षदों के विरोध पर पीछे हट गए थे निगम अधिकारी, बोर्ड अधिवेशन में होगा पुरजोर विरोध

20220609_002344.jpgउत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में संपत्ति कर की संशोधित दरों पर पांच साल बाद फिर विवाद शुरू हो गया है।इस बार विरोध नगर निगम द्वारा दरें बढ़ाने का नहीं है, बल्कि पांच साल का बकाया वसूलने पर है। जबकि नगर निगम ने पांच साल दरें बढ़ा तो दीं, लेकिन इन्हें लागू न करा सका। जिसके बाद गिने-चुने करदाता ही बढ़ी दरों के साथ संपत्ति कर जमा करते रहे। अब इनके भी बिल में बकाया राशि दर्शायी जा रही है। ऐसे में इन करदाताओं का कहना है कि बढ़ी दरों के साथ वे पिछले पांच साल से संपत्ति कर देते आए हैं तो बकाया क्यों वसूला जा रहा है।

इतना ही नहीं, जितनी संपत्ति नहीं है, उससे कई गुना बिल नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जारी कर दिया गया है। ऐसे करदाताओं में व्यापारी वर्ग की संख्या अधिक है। जबकि अलीगढ़ के पार्षदों के अलावा सांसद, विधायक भी इसका विरोध कर रहे हैं। 2017 से बढ़ाई गई इन दरों का बहिष्कार करने की अपील तक कर दी है।नगर निगम के कर विभाग ने 2017 से संपत्ति कर की दरें बढ़ाकर बिल जारी किए हैं।

इस मामले को लेकर नगर निगम के हटधर्मी विभागीय अधिकारी का कहना है कि रिवाइज दर 2013 से लागू होनी थीं। लेकिन, विरोध के चलते कर न सके। जबकि अब 2017 से बढ़ी दरों के साथ बिल जारी किए जा रहे हैं। नॉमिनेटेड काउंसलर कुलदीप पांडे का कहना है कि जब 2017 में दरें बढ़ा दी गईं तो तभी इसे लागू कर देना चाहिए था। तब निगम अधिकारियों ने सर्वे का हवाला देकर लागू नहीं किया।