एएमयू के जेएन मेडिकल कालिज में मनाया गया विश्व स्तनपान सप्ताह

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अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष्य में एडीआर मॉनिटरिंग सेंटर, पीवीपीआई, एमओएचएफडब्ल्यू, भारत सरकार के तत्वावधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया।

अतिथियों का स्वागत करते हुए फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सैयद जियाउर रहमान ने समावेशी स्तनपान सहायता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सेमिनार के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि खासकर एचआईवी/एड्स और तपेदिक के मामले में किन दवाओं से बचना चाहिए।

अपने मुख्य भाषण में डॉ. जमील अहमद ने भारत में समावेशी स्तनपान सहायता की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए ‘अंतर को कम करनाः सभी के लिए स्तनपान सहायता’ विषय पर बात की। उन्होंने शिशु के लिए स्तनपान के लाभों के बारे में जानकारी दी और कुछ बीमारियों को रोकने में इसकी प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला।

फार्माकोलॉजी विभाग की रेजिडेंट डॉ. प्रज्ञा एच. सुब्बा ने ‘स्तनपान करने वाले शिशुओं पर दवाओं के विपरीत प्रभाव’ पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया और दूध के माध्यम से उत्सर्जित होने वाली विभिन्न दवाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बिल्कुल वर्जित दवाओं पर चर्चा की।

अपने अध्यक्षीय भाषण में, प्रतिष्ठित बाल चिकित्सा एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी, अलीगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. विकास मेहरोत्रा ने स्तनपान के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों, जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करना, पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान और 6 महीने की उम्र से ही पर्याप्त और सुरक्षित पूरक आहार देना तथा 2 साल और उससे अधिक उम्र तक स्तनपान जारी रखने पर चर्चा की।