जेएन मेडिकल कालिज में नेत्रदान पखवाडे़ के तहत कार्यक्रम का आयोजन

in #health16 days ago

अलीगढ़, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कालेज के इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में आई बैंक ने ‘ब्रिजिंग द गैप - आई डोनेशन‘ पर एक कार्यक्रम आई डोनेशन फोर्टनाइट के अवसर पर आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य हॉस्पिटल कॉर्निया रिट्रीवल प्रोग्राम (एचसीआरपी) को प्रोत्साहित करना था और अस्पताल में कॉर्निया रिट्रीवल प्रयासों को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम में आंखों के दान को बढ़ावा देने में नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया जो मरीजों के परिवारों के साथ नियमित संपर्क के माध्यम से आंखों के दान के लिए प्रेरित करने और इसे सुविधाजनक बनाने में विशेष भूमिका अदा कर सकते हैं।

कंसल्टेंट ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, डा मौहम्मद साकिब और डा समीम मिर्जा ने एएमयू आई बैंक की महत्वता को रेखांकित किया, जो अलीगढ़ मंडल की एक मात्र सुविधा है। उन्होंने कहा कि आई बैंक टीम दिन-रात आंखों के दान में सहायता के लिए उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि मृतक के निकटतम रिश्तेदारों की सहमति पर मृत्यु के छह घंटे के भीतर कॉर्निया दान किया जा सकता है और इससे कोई चेहरे में किसी प्रकार की कोई विकृति पैदा नहीं होती। उन्होंने कहा कि किसी भी उम्र का व्यक्ति अपनी आंखें दान कर सकता है। यहां तक कि जिन्होंने आंखों की सर्जरी करवाई है या जो लोग डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं वह भी नेत्रदान कर सकते हैं।
एएमयू इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर ए. के. अमितावा,, ने बताया कि 2023-2024 के दौरान जेएन मेडिकल कालिज के ऑप्थल्मोलॉजी विभाग द्वारा 33 कॉर्नियल ट्रांसप्लांट किए गए जबकि वर्तमान में 125 लोग प्रतिक्षा सूची में हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दान की प्रक्रिया के दौरान केवल आंख का पारदर्शी हिस्सा हटाया जाता है, जिससे चेहरे की कोई विकृति नहीं होती। प्रोफेसर अमितावा ने नर्सिंग स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर किया, जो दानकर्ता के निर्णय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

आई बैंक के इंचार्ज प्रोफेसर जिया सिद्दीकी ने आंखों के दान की बढ़ती आवश्यकता को उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत के केवल 2 प्रतिशत आई बैंक वर्तमान में 80 प्रतिशत कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की मांग का भार उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में एक मिलियन से अधिक लोग कॉर्नियल अंधता से पीड़ित हैं। इस पहल की तात्कालिकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक प्रोफेसर सिमी जका उर रब ने अस्पतालों में प्रतीक्षालयों में शैक्षिक वीडियो जैसे डिजिटल टूल्स के उपयोग की वकालत की ताकि आंखों के दान के बारे में जागरूकता बढ़ सके।

जे. एन. मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और डीन, प्रोफेसर वीणा महेश्वरी, ने कॉर्नियल अंधता को समाप्त करने के लिए आई बैंक की लगातार प्रयासों की सराहना की।
प्रोफेसर अब्दुल वारिस ने सभी समुदायों के धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं से आंखों के दान का समर्थन करने की अपील की, मिथकों को दूर करने और इस महान पहल में भागीदारी को प्रोत्साहित करने में मदद करने का आग्रह किया।नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट हुमा रूही ने आंखों के दान पहलों मे सहयोग करने में नर्सिंग टीम की प्रतिबद्धता को दोहराया।