बम बनाने शिक्षा के साथ सिखाते थे कुश्ती के दाव पेच,शहीद भगत सिंह ने शादीपुर में बिताए थे 18 माह
अलीगढ़ जिले के टप्पल क्षेत्र के गांव शादीपुर में भेश बदल कर 18 महीने रहे शहीद भगत सिंह ने इलाके के लोगों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने के साथ उन्हें कुश्ती के दाव पेच भी सिखाएं थे। इतना ही नहीं वे यहां पर उन्होंने अंग्रेज सैनिकों से मोर्चा लेने के लिए लोगों को बम बनाना भी सिखाया।गांव के लोग आज भी इस बात पर गर्व करते हैं कि उनके गांव में आजादी के मतवालों भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी ने वक्त बिताया था। लेकिन उनके प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर उनमें नाराजगी भी है। गांव में वह जमीन और पार्क पानी पीने का कुआं आज भी बदहाल है जहां कभी भगत सिंह ने समय बिताया था।
अलीगढ़ के गांव शादीपुर के बुजुर्ग लक्ष्मण सिंह बताते हैं किसरदार भगत सिंह वर्ष 1928 में गणेश शंकर विद्यार्थी के पास कानपुर पहुंचे थे। कानपुर क्रांतिकारियों का गढ़ था अलीगढ़ के शादीपुर गांव के निवासी संता सेनानी ठाकुर टोडर सिंह भी कानपुर गए थे। वहां उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई ठाकुर टोडर सिंह भगत सिंह को अपने साथ अलीगढ़ और फिर ताकीपुर राजवा के रास्ते अपने गांव शादीपुर ले आए। शादीपुर में भगत सिंह ने दाढ़ी और बाल कटवा लिए और टोडर सिंह ने भगत सिंह का बलवंत सिंह के रूप में ग्रामीणों से उनका परिचय कराया भगत सिंह के बारे में अंग्रेजों को कोई भनक न लगे इसलिए ठाकुर टोडर सिंह ने भगत सिंह को गांव से करीब 800 मीटर दूर अपने एक बगीचे में उनकी रहने की व्यवस्था की और यहां एक स्कूल खुलवाया जिसका नाम नेशनल स्कूल रखा गया यह भगत सिंह बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाते थे और हर शाम को कुश्ती का दाव पेच लोगों को सिखाते थे लक्ष्मण सिंह ने बताते हैं कि इस बीच भगत सिंह के मन में भारत मां को आजाद कराने का ख्याल लगातार कोध रहा था इसलिए भगत सिंह ने शादीपुर से जाने की योजना बनाई और इसलिए उन्होंने अपने बीमार मां को देखने और फिर वापस आने की बात कही इसे सुनकर ठाकुर टोडर सिंह ने भगत सिंह को खुर्जा स्टेशन छुड़वा दिया भगत सिंह ने शादीपुर से जाते समय कहा था कि उनकी मां बीमार नहीं है बल्कि वह भारत माता को आजाद कराने जा रहे हैं और अब वह भारत माता को आजाद कराकर ही लौटेंगे। 23 मार्च 1931 को जब भगत सिंह उनके साथी राजगुरु सुखदेव को फांसी दी गई। तो अलीगढ़ के गांव शादीपुर गांव को इस स्तब्धए गया। तब से आज तक गांव में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है,गांव में शहीद दिवस के अवसर पर रागनी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है.