कुदरती आकाश में 'मामा चंद्रदेव' के न आने से फीकी रही शरद-पूनो की रात : अमृत से वंचित हुए लोग

in #chanda2 years ago

Screenshot_20221010_125430.jpgबच्चे पुकारते रह गए 'ओ चन्दा मामा तू आरे आवSSS....'

मिर्जापुर। युगों पूर्व दक्ष प्रजापति के जामाता रहे आसमान के चन्द्र देव शरदपूर्णिमा को चांदनी की सौगात देकर धरती वालों को प्रफ़ुल्लित करते हैं । महालक्ष्मी स्वरूपा मां विंध्यवासिनी के भाई होने के कारण विंध्यक्षेत्र के निवासियों के लिए मामा होते हैं चन्द्रदेव। मामा के आने पर बहन से ज्यादा खुश होते हैं भांजे-भांजी, क्योंकि प्रायः योग्य मामा खाली हाथ नहीं आता। वैसे भी धर्मशास्त्रों में कहा भी गया है कि पूज्य-पदों से सुशोभित लोगों के यहां खाली हाथ जाने से दोष लगते हैं, पुण्य क्षरित होते हैं। पूज्य-पदों में भांजा-भांजी, दामाद, माता-पिता का घर और गुरु की कुटी या आश्रम माना जाता है। 16 कलाओं से वर्ष में सिर्फ एक बार अलंकृत होते हैं पचन्द्रदेव शरद पूर्णिमा के दिन। यह दिन इस वर्ष 2022 में 9 अक्टूबर, रविवार को था। मामा चंद्रदेव के आगमन पर घर-घर में खीर तो बन कर उनके सम्मुख तो रखी ही जाती है, जबकि विंध्याचल पर्वत की अष्टभुजा पहाड़ी पर आयुर्वेदिक वैद्य औषधियां तैयार करते हैं और अस्थमा, दमा तथा आर्थराइटिस के रोगियों का उपचार करते हैं। वैद्यों का कहना है कि चन्द्रमा की किरणों के स्पर्श से खीर दवा हो जाती है।
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नहीं आए चंदा मामा
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'बच्चे गाते रह गए, 'चंदा मामा, तू आरे आवSSS पारे आवSSS नदिया किनारे आवSSS' पर बीच बादलों ने इस आवाज को बड़े लोगों के घरों पर तैनात चौकीदारों की तरह बाहर ही रोक लिया। कृष्ण के द्वारपाल इस मामले में ज्यादा उदारमना थे और फटेहाल सुदामा को तत्काल श्रीकृष्ण से मिलवा दिया था।
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रात भर लोग सो न पाए

शरदपूर्णिमा के खुले आकाश में खीर रखकर पूजा और अमृत की ख्वाहिश रह-रहकर हो रही बारिश बहा ले गई। 10 बजे रात के बाद वर्षा तो बंद हो गई लेकिन 'मामाश्री' का दर्शन न हो सका। अमृत की लालसा को पाला मार गया।