घर में एक साथ तीन मौत के बाद 24 दिन की बच्ची ने संभाली परिवार की जिम्मेदारी

in #news2 years ago

00.jpg- पूरे गांव के सामने बांधी मासूम को पगड़ी
सीकर/नांगल। चंचल महज 24 दिन की मासूम बच्ची है...ना पूरी सी आंख खुलती है ना ही गर्दन संभल पाती है...अपने- परायों की समझ है ना सुख- दुख का बोध है। लेकिन, इस कोमल अवस्था में ही उस पर परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ आ गया है। हादसे में चाचा व चाची के साथ पिता बंशीधर की मौत के 12वें दिन बकायदा पगड़ी के रूप में ये जिम्मेदारी पूरे गांव के सामने उसके सिर पर रखी गई। जिसके गवाह बने हर शख्स की आंख नम थी । वहीं, बेबसी से बिलखती मां की तो छाती तक आंसुओं से भीग गई। हर कोई इस दौरान कुदरत की इस कुचाल को कोसता नजर आया।

कांस्टेबल परीक्षा में जाते समय दो भाइयों व पत्नी की मौत
चौमूं के नजदीकी गांव नांगल भरड़ा निवासी चंचल के पिता बंशीधर कुमावत की मौत भाई दीपेश व उसकी पत्नी पिंकी के साथ बाइक पर जाते समय मंढा मोड़ के पास हुए सड़क हादसे में हो गई थी। तीनों 12 मई को कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के लिए गांव से झुंझुनूं जिले के डूंडलोद गांव की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान एनएच 52 पर मंढा मोड के पास निजी डेयरी का दूध परिवहन करने वाला एक ट्रक जयपुर की तरफ से आ रहा था। सड़क के कट पर अचानक ट्रैक्टर के आने पर वह उसे बचाने के फेर में अनियंत्रित होकर उनकी बाइक पर पलट गया। ऐसे में बाइक पर सवार तीनों शख्स ट्रक के नीचे दब गए। हादसे की सूचना के बाद हाईवे पेट्रोलिंग पुलिस के साथ ही खाटूश्यामजी और रानोली थाने का जाब्ता भी मौके पर पहुंच गया। इस दौरान पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से हाईवे की क्रेन के सहारे ट्रक को खड़ा करवा कर शव निकालने का प्रयास किया। लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिली। बाद में निजी क्रेन व जेसीबी बुलाकर तीनों को ट्रक के नीचे से निकाला गया। पर तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी।
बूढ़े मां- बाप का छिना सहारा
हादसे के शिकार दीपेश व बंशीधर पिता अशोक कुमार व मां पतासी देवी की बुढ़ापे की लाठी थे। दोनों की एक साथ मौत पर दोनों अब तक सदमें से नहीं उबर पाए हैं। घटना के बाद परिवार में मासूम चंचल के अलावा मां मोनू तथा दादा अशोक व दादी पतासी देवी ही बचे हैं। लिहाजा परिवार की जिम्मेदारी की निशानी पगड़ी को मासूम चंचल को ही पहनाया गया।