5 चुनावों से हार रही ABVP, छात्रसंघ चुनावों में क्या है यूनिवर्सिटी का गणित

in #rajasthan2 years ago

कहते हैं राजनीति की पहली सीढ़ी छात्र संघ चुनाव से होकर ही गुजरती है, लेकिन पिछले दो सालों से कोरोना ने इस सीढ़ी के दरवाजे बंद कर रखे थे. 2020 में जहां कोरोना पीक पर होने के चलते छात्र संघ चुनाव नहीं हो पाए.Screenshot_20220725-212627_Messenger.jpg
वहीं, साल 2021 में भी सरकार की ओर से कोरोना के असर को देखते हुए छात्र संघ चुनाव की अनुमति नहीं मिली, लेकिन दो साल बाद परिस्थितियां सामान्य होने के बाद आखिरकार सरकार ने इस साल छात्र संघ चुनाव करवाने का फैसला ले लिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 22 जुलाई को इस साल छात्र संघ चुनाव करवाने के निर्देश दिए और उसके बाद से ही अब छात्र नेता अपना दमखम दिखाते हुए नजर आने लगे हैं.।
राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रदेश की सबसे बड़ा विश्वविद्यालय हैऔर यहां की छात्र राजनीति से निकलकर छात्र नेताओं ने राजनीति की मुख्यधारा में जगह बनाकर राजस्थान के गौरव भी बढ़ाया है.राजस्थान विश्व विद्यालय में एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर मानी जाती रही है, लेकिन पिछले चार चुनावों में दोनों ही छात्र संगठनों को मुंह की खानी पड़ी है.साल 2016 से लेकर साल 2019 तक राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्र संघ अध्यक्ष के ताज ने निर्दलीयों के माथे की ही शोभा बढ़ाई है. ऐसे में दो साल बाद इस साल होने जा रहे छात्र संघ चुनावों में एनएसयूआई और एबीवीपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी की वो हार से सिलसिले को खत्म करते हुए जीत का परचम फहराए.