रावल में जन्मी श्रीराधारानी... छाया आनंद अगाध; द्वापर युग जैसा दिखा नजारा

in Agra Mandal8 days ago

आगरा 11 सितंबर : (डेस्क) तीर्थनगरी के रावल में तड़के पहर श्रीराधारानी का अवतरण हुआ। प्राकट्य स्थली रावल में बुधवार की सुबह द्वापर युग जैसा नजारा दिखाई दिया। चंहुओर खुशियों का माहौल था। मंगल गीत गाए जा रहे थे।

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श्रीराधारानी का जन्म स्थान रावल गांव में
श्रीराधारानी का जन्म स्थान मथुरा के रावल गांव में है, जहां वह कमल के पुष्प पर प्रकट हुईं। यह स्थान द्वापर युग में था, जब कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में हुआ था। रावल गांव में श्रीराधारानी का प्राचीन मंदिर है, जहां उनका बाल स्वरूप सेवा किया जाता है।

रावल गांव में श्रीराधारानी का जन्म
श्रीराधारानी का जन्म रावल गांव में कमल के पुष्प पर हुआ था, जब यमुना महारानी बह रही थीं। उस समय श्रीराधारानी की दोनों आंखें बंद थीं और वह कमल के पुष्प पर बैठी हुई थीं। बाद में श्रीराधारानी बरसाना पधारीं, जहां उन्होंने श्रीकृष्ण से प्रेम किया।

रावल गांव में श्रीराधारानी का प्राचीन मंदिर
रावल गांव में श्रीराधारानी का प्राचीन मंदिर है, जहां उनका बाल स्वरूप सेवा किया जाता है। यहां पर भक्तों के लिए प्रसादी की व्यवस्था है और फूलों का प्रसाद दिया जाता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों में से श्रीराधारानी करहरी के वृक्ष के नीचे से प्रकट हुईं।

रावल गांव का आनंद और उत्साह
रावल गांव में श्रीराधारानी के जन्म स्थान पर आनंद और उत्साह का माहौल है। भक्त लोग यहां आकर श्रीराधारानी के दर्शन करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। रावल गांव में श्रीराधारानी के जन्म पर भजन और कीर्तन होते हैं।

द्वापर युग जैसा नजारा
रावल गांव में श्रीराधारानी के जन्म स्थान पर द्वापर युग जैसा नजारा दिखाई देता है। यह स्थान उस समय का है, जब कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में हुआ था। यहां पर श्रीराधारानी का प्राचीन मंदिर है और उनका बाल स्वरूप सेवा किया जाता है।