जन्मदिन विशेष #महंतआदित्यनाथजीमहाराज

in #yogi2 years ago

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पांच जून 1972 को जन्मे योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं रही। बात दो दशक पहले की है। गोरखपुर शहर की धड़कन कहे जाने वाले मुख्य बाज़ार गोलघर में गोरखनाथ मंदिर द्वारा संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा ख़रीदने आए और उनका दुकानदार से विवाद हो गया। दुकानदार पर हमला हुआ, तो उसने रिवॉल्वर निकाल ली।दो दिन बाद दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर एक युवा योगी की अगुवाई में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए।

यह योगी आदित्यनाथ थे, जिन्होंने कुछ समय पहले ही 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी। गोरखपुर की राजनीति में एक 'एंग्री यंग मैन' की यह धमाकेदार एंट्री थी। यह वही दौर था, जब गोरखपुर की राजनीति पर दो बाहुबली नेताओं हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही (अब स्व0) की पकड़ कमज़ोर हो रही थी।युवाओं ख़ासकर गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं को इस 'एंग्री यंग मैन' में हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे महंत दिग्विजयनाथ की 'छवि' दिखी और वो उनके साथ जुड़ते गए।बस क्या था देखते ही देखते महज 26 वर्ष की आयु में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से सबसे युवा सांसद के रूप में निर्वाचित हो गए और मुख्यमंत्री बनने तक बढ़ते जनाधार और वोट प्रतिशत के साथ रिकार्ड 5 बार निर्वाचित होते रहे। गोरखपुर सदर सीट और योगी आदित्यनाथ एक दूसरे के पूरक बन गए।

एक समय में अपराधी गुटों के वर्चस्व और गैंगवार से गोरखपुर की ऐसी छवि बनी थी कि बीबीसी ने शिकागो के बाद गोरखपुर को अपराध का बड़ा शहर बताते हुए खबर प्रसारित की थी। जैसे-जैसे योगी आदित्यनाथ की राजनैतिक ताकत बढ़ती गई गोरखपुर में आपराधिक गुटों का प्रभाव घटता चला गया। 'गोरखपुर में रहना है तो योगी योगी कहना है' नारे का दायरा चुनाव दर चुनाव बढ़ता गया और 'पूर्वांचल में रहना है तो योगी योगी कहना है' फिर 'उत्तर प्रदेश में रहना है तो योगी योगी कहना है' तक विस्तारित यह नारा और योगी आदित्यनाथ की असली ताकत हिन्दू युवा वाहिनी ने उत्तर प्रदेश के कोने-कोने तक विस्तारित किया।

गोरखपुर के मानबेला में आयोजित तबकी सबसे बड़ी रैली में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को भी अंदरखाने अहसास दिलाने में कामयाबी हासिल की कि यूपी में योगी आदित्यनाथ से अधिक लोकप्रिय और जनाधार वाला कोई नेता नहीं है।

बीते विधानसभा चुनावों में भी योगी ने जिस तूफानी अंदाज में रैलियां की उसने उनकी राजनैतिक कुशलता को और निखारा। कोरोना काल में अपने निर्णय लेने की क्षमता और संवेदनशीलता से दुनियां का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले योगी आदित्यनाथ आज भारत के किसी भी मुख्यमंत्री से अधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। आप निरोगी और शतायु हों, जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं।