बिजली कम्पनियों का बकाया जल्द चुकाए राज्य,बिजली छेत्र को होने वाली राजनीति पीएम का करारा हमला

in #states2 years ago

दिल्ली। हर गांव, हर घर को बिजली देने और चौबीसों घंटे बिजली देने के मुद्दे पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार की पीठ कई बार थपथपाई है लेकिन शनिवार को उनका मिजाज पूरी तरह से दूसरा था। बिजली सेक्टर से जुड़ी कई परियोजनाओं का शुभारंभ करने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने बिजली को लेकर होने वाली राजनीति पर करारा प्रहार किया। टूक यह चेतावनी भी दी कि अगर देश में बिजली क्षेत्र में राजनीति बंद नहीं की गई तो हमारी आने वाली पीढि़यों को फिर से अंधेरे का सामना करना पड़ सकता है।

चुनाव जीतने के लिए बिजली सब्सिडी देने की घोषणा कर बाद में इसका भुगतान नहीं करने वाले राज्यों को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया और इनसे आग्रह किया कि वो बिजली संयंत्रों पर बकाए एक लाख करोड़ रुपए का शीघ्र भुगतान करें। पीएम मोदी ने बताया कि बिजली संयंत्रों के साथ ही बिजली वितरण कंपनियों के ढ़ाई लाख करोड़ रुपए फंसे हुए हैं और यह पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए गंभीर बात है।

पीएम मोदी ने बिजली वितरण सेक्टर में सुधार के लिए सरकार की नई नीति रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम को लांच किया। इस स्कीम के तहत अगले पांच वर्षों में कुल 3.03 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके अलावा उन्होंने उज्जवल भारत, उज्जवल भविष्य - पावर एट 2047 कार्यक्रम में शिरकत की। सरकारी कंपनी एनटीपीसी की 5200 करोड़ रुपये की ग्रीन एनर्जी परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
पीएम मोदी ने नेशनल सोलर रूफटाप पोर्टल को भी लांच किया। उक्त सारे कार्यक्रम एक साथ हुए। इसमें देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री, बिजली मंत्री व दूसरे प्रतिनिधियों के साथ ही बिजली सेक्टर की सारी निजी व सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। संभवत: यही कारण था कि प्रधानमंत्री ने इस मौके पर बिजली सेक्टर के साथ ही राजनीतिक दलों को आईना दिखाया। यह भी बताते चलें कि आम आदमी पार्टी के बाद अब भाजपा, कांग्रेस ही नहीं तमाम दूसरे क्षेत्रीय दल भी बिजली सब्सिडी को अपना प्रमुख राजनीतिक हथकंडा बना चुके हैं।

पीएम मोदी ने बिजली सेक्टर को लेकर होने वाली राजनीति और इससे उपजी समस्या को एक गंभीर व बड़ी चिंता की बात के तौर पर चिन्हित किया। उन्होंने कहा कि हमारे समय में राजनीति में एक गंभीर विकार आ गया है। राजनीति में सच बताने का साहस होनी चाहिए लेकिन मैं देखता हूं कि कुछ राज्यों में इससे बचने की कोशिश होती है। यह तात्कालिक तौर पर अच्छी राजनीति लग सकती है लेकिन यह बच्चों के भविष्य को तबाह करने वाली राजनीति है।

इस सोच की वजह से देश के कई राज्यों में पावर सेक्टर बड़े संकट में है। जब एक राज्य का पावर सेक्टर कमजोर होता है तो उसका असर पूरे देश पर पड़ता है। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) को शायद ही कभी बकाये का भुगतान समय पर होता हो। उनका अलग अलग राज्य सरकारों पर एक लाख करोड़ रुपये का बकाया है। ये पैसा उन्हें पावर जेनरेशन कंपनियों को देना है, उनसे बिजली लेनी है, लेकिन पैसे नहीं दे रहे हैं।

पावर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनियों का अनेक सरकारी विभागों पर, स्थानीय निकायों पर भी 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है और चुनौती इतनी ही नहीं है। अलग-अलग राज्यों में बिजली पर सब्सिडी का जो वादा किया गया था वह भी समय पर पूरा नहीं दिया जाता। ये बकाया भी लगभग 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है। इस तरह से बिजली सेक्टर का लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए फंसा हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा कि, हमारा देश अंधकार में ना जाए, इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है। ये राजनीति का नहीं राष्ट्रनीति और राष्ट्रनिर्माण का सवाल है, बिजली से जुड़े पूरे सिस्टम की सुरक्षा का सवाल है। जिन राज्यों पर बकाया हैं, मेरा उनसे आग्रह है कि वे जितना जल्दी संभव हो सके, इसका भुगतान करें। Screenshot_2022-07-30-18-56-15-46_6ee1490f6338a5d500212cdd6f65b6c2.jpg