पेगासस सीबीआई ईडी पॉलीटिकल सिस्टम को कंट्रोल करते हैं :राहुल गांधी

in #politics2 years ago

Screenshot_20220409-152931_WhatsApp.jpgकांस्टीट्यूशन हिंदुस्तान का हथियार है। मगर इंस्टीट्यूशन के बिना कांस्टीट्यूशन का कोई मतलब नहीं है - राहुल गांधी

-आप कहते हैं कि कांस्टीट्यूशन की रक्षा करनी है। मैं कहता हूं कांस्टीट्यूशन की रक्षा करनी है, मगर कांस्टीट्यूशन को इम्लिमेंट कैसे किया जाता है इंस्टीट्यूशन से। इंस्टीट्यूशन सब के सब आरएसएस के हाथ में हैँ। इंस्टीट्यूशन आपके और हमारे हाथ में नहीं है। अगर इंस्टीट्यूशन आपके और हमारे हाथ में नहीं हैं, तो कांस्टीट्यूशन हमारे हाथ में नहीं है। ये कोई नया आक्रमण नहीं है। ये आक्रमण उस दिन शुरु हुआ, जब महात्मा गांधी की छाती में तीन गोलियाँ डाली गई थी।

  • अंबेडकर जी ने कांस्टीट्यूशन को बनाने का, डेवलप करने का, प्रोटेक्ट करने का काम किया। अंबेडकर जी ने हमें हथियार दिया, मगर आज उस हथियार का कोई मतलब नहीं है। मतलब ही नहीं है। जैसे गाड़ी बहुत सुंदर है। गाड़ी में आपको जयपुर जाना है। गाड़ी में पांच लोग बैठे हैं, चार लोगों को जयपुर जाना है और ड्राइवर आगरा जाना चाहता है। बात समझ आई? गाड़ी में पांच लोग, डेमोक्रेसी, चार लोग कहते हैं भाई, हमें जाना है आगरा, ड्राइवर कहता है मैं जा रहा हूं जयपुर।

  • ये हो रहा है और किया कैसे किया जा रहा है – मीडिया को कंट्रोल करके, तीन,चार सबसे बड़े अरबपतियों को कंट्रोल करके, पेगासस से राजनेताओं को कंट्रोल करके। मैं आपको बता रहा हूं, स्टेज पर बता रहा हूं। अगर मैंने एक रुपया लिया होता ना, मैं ये भाषण नहीं दे पाता। मैं वहाँ पर कोने में चुप बैठा रहता, ये भाषण नहीं दे पाता। तो पेगासस, सीबीआई, ईडी, ये पॉलिटिकल सिस्टम को कंट्रोल करते हैं।

-कोई राजनेता जैसे, आपने देखा होगा मायावती जी ने चुनाव ही नहीं लड़ा। हमने मायावती जी को मैसेज दिया, अलायंस करिए, चीफ मिनिस्टर बनिए, बात तक नहीं की। जिन लोगों ने, कांशी राम जी ने, रिस्पेक्ट करता हूं मैं, खून पसीना देकर दलित आवाज जो थी उत्तर प्रदेश की, उसको जगाया। कांग्रेस का नुकसान हुआ, वो अलग बात है, मगर उस आवाज को जगाया। आज मायावती जी कहती हैं कि मैं उस आवाज के लिए लडूंगी नहीं। खुला रास्ता दे दिया। क्यों - सीबीआई, ईडी, पेगासस।

-लड़ाई सिर्फ जनता कर सकती है। जब तक हिंदुस्तान की जनता के अंदर जो आवाज है, जब तक वो नहीं निकलेगी, तब तक इंस्टीट्यूशन को कंट्रोल करके कांस्टीट्यूशन को ये लागू होने नहीं देंगे। ये आज हिंदुस्तान की सच्चाई है।

  • जब कांस्टीट्यूशन काम नहीं करता है, तो सीधी चोट, डायरेक्ट कमजोर लोगों पर जाकर पड़ती है। कौन हैं वो - दलित हैं, अल्पसंख्यक हैं, आदिवासी हैं, बेरोजगार लोग हैं, छोटे किसान हैं ये लोग

  • आज इकॉनमी की हालत देख लीजिए, बेरोजगारी देख लीजिए। तो लड़ने का समय है और जो अंबेडकर जी ने कहा, जो गांधी जी ने कहा, रास्ता दिखाया उन्होंने। रास्ता है, उस पर बस चलने की जरुरत है। मुश्किल काम है, आसान काम नहीं है, रास्ता है, उस पर चलने की जरुरत है।